March 3, 2010

हमारी आस्था और ये ढोंगी बाबा

जिस्म फरोसी के विरुद्ध सख्त कानून की जरूरत  
लड़कियों को आजादी दायरा, नैतिकता और अनुशासन के साथ दी जानी चाहिए

अपने देश में आस्था या धर्म के नाम पर किसी को बेवकूफ बनाना आसान है। अच्छी और लच्छीदार बातों से लोगों का विश्वास जीत कर उन्हें चूना लगाना मुश्किल नहीं है। देश में धर्म के आड़ में सरेआम अवैध धंधे चल रहे हैं। असल में कुकुरमुत्ते की तरह देश में बढ़ते कथित धर्माचार्य, सन्त और बाबा सफेदपोसों और हुक्मरानों की काली करतूतों को धवल वस्त्र प्रदान कर रहे हैं। ये बाबा जनता और अपने भक्तों की दक्षिणा से खुद तो ऐश ओ आराम की जिन्दगी व्यतीत करते हीं है अपने चेलों के लिए विलासितापूर्ण पल उपलब्ध कराने का जरीया भी बनते हैं।

दिल्ली में गिरफ्तार सेक्स  रैकेट का सरगना शिवेन्द्र उर्फ राजीव रंजन द्विवेदी उर्फ ईच्छाधारी सन्त स्वामी भीमानन्द अकेला ही श्वेत या भगवा वस्त्रधारी बाबा नहीं है। इसके जैसे अभी तमाम दबे पड़े हैं। जिनको पुलिस जानती है लेकिन उन पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं कर सकती। क्योंकि पुलिस को भी डर है कि उन बाबाओं के चेले उनके डिपार्टमेंट और राजनीति में भी हैं। उसकी डायरी से २५ हजार करोर की लेनदेन का मामला भी प्रकाश में आया है।

दरअसल, ये कथित बाबा या सन्त उतने दोषी नहीं हैं जितने हम और आप हैं। जब भी कोई आदर्श की बातें करने लगता है तो हम भारतीय उसे महान मानने लगते हैं। लेकिन यह जानने की कोशिश नहीं करते कि यह आदर्शवादी कहां से आ गया। इसका अतीत क्या है? यह और क्या गुल खिला रहा है। इन सब बातों को जानने की हमारे पास फुर्सत ही कहां है? हमें तो बस जल्दी है। और यही जल्दी हमारी दुखती नस है। जिसे राजीव रंजन द्विवेदी जैसे आस्था के भेçड़ये निगलने में देर नहीं लगाते। जब इनकी पोल खुलती है तो उस समय हम हार गए जुआरी की तरह होते हैं जो अपनी हारी हुई कमाई को कसमकसाते और छटपटाते हुए केवल देखता भर है कुछ कर सकने की उसमें नैतिक बल और जोश नहीं होता।

सेक्स सरगना शिवमूर्ति के गिरफ्तारी के दौरान टीवी पर दिखाए जा रहे उन दृश्यों को जरा स्मरण करिए वह कैसे लोगों को आशीर्वाद दे रहा था और आशीर्वाद लेने वाले किस तरह से निहाल हो रहे थे। उसके शरण में जाने वाले कोई एकदम से निपट निरक्षर या गांव के भोलेभाले लोग नहीं हैं। दिल्ली जैसे मेट्रो पोलिटन सिटी में रहने वाले जागरूक लोग हैं। लेकिन, कोई यह जानना जरूरी नहीं समझा कि यह बाबा कहां से अवतरित हो गए।

शिवमूर्त द्विवेदी उर्फ इच्छामूर्ति दिल्ली में ही गार्ड की नौकरी करता था। वह नोएडा पुलिस के हत्थे भी चढ़ चुका है। वह दिनदहाड़े लूट की वारदात को अंजाम दे चुका है। जिस्म्फरोसी के आरोप में पहले भी जेल जा चुका है। फिर भी लोगों का वह बाबा बन गया। उसके कदमों में धन की बरसात होने लगी। वह मन्दिर और अस्पताल तक बनवा डाला।

दूसरी तरफ, उसके साथ गिरफ्तार लड़कियां भी हाईप्रोफाइल मां-बाप की हाईप्रोफाइल बेटियां हैं। जिनकी जेब खर्चे इतने अधिक हो चुके हैं कि उन्हें पूरा करने के लिए अपना शरीर बेचने में तनिक भी गुरेज नहीं है। छह में चार से लड़कियां एयर होस्टेस हैं जिनमें से एक एमबीए की छात्रा भी है। यह हमारे बदलते भारत और विकसित भारत की बदलती तस्वीर है जो स्त्री स्वतन्त्रता का हिमायती है। लड़कियों को आजादी मिलनी चाहिए, लेकिन दायरा, नैतिकता और अनुशासन का कड़ा पहरा भी होना चाहिए। यह देखा भी जाना चाहिए कि इस स्वतन्त्रता का बेजा इस्तेमाल तो नहीं हो रहा है। जो लड़कियां पकड़ी गईं हैं केवल वही दोषी नहीं हैं। उनके माता-पिता भी दोषी हैं। जिन्हें न तो अपने बच्चों को देने के लिए संस्कार है और न ही उनकी कार्य गुजारियों का समीक्षा करने के लिए समय। ऐसे में बच्चे तो ऐसे रैकेटों में फंसेंगे ही। क्योंकि, पकड़ी गई सभी लड़कियां अमीर घरों और बड़े कालेजों में पढ़ने वाली हैं। इस शिवेन्द्र उर्फ राजीव रंजन द्विवेदी के रैकेट में अभी पुलिस पर भरोसा करें तो कम से कम चार सौ से अधिक लड़कियां हैं। इसका नेटवर्क देश के कई बड़े शहरों में फैला हुआ है। जो अपने भक्तों के सुविधा के अनुसार सम्बंधित शहरों में ही लड़कियों को उपलब्ध कराता है।


जिस्म फरोसी के विरुद्ध सख्त और गैर जमानती कानून बनाना होगा. मौजूदा कानून बहुत लचीला. इस तरह के एक मामले में सेक्स रैकेट चलाने वाली सोनू पंजाबन छूट चुकी है. शिवेंद्र भी छूट जायेगा.



सवाल यह नहीं है कि राजीव रंजन कितना दोषी है। सवाल यह है कि हम और आप कितने दोषी हैं जो ऐसे लोगों को पनपने देने का मौका देते हैं। ऐसे लोगों पर सरकार भी क्या नियन्त्रण लगाएगी जब जनता खुद ही लूटने के लिए इनके पास जाती है।


1 comment:

  1. हमारी बेवकूफियों का ही फायदा ये लोग उठाते है. अच्छा विश्लेषण किया आपने.

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आपने धैर्य के साथ मेरा लेख पढ़ा, इसके लिए आपका आभार। धन्यवाद।

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