May 10, 2013

कहीं के नहीं रहे येदियुरप्पा.....

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम आ गए हैं; चैनलों पर इसके विश्लेषण जमकर हो रहे हैं; भाजपा और कांग्रेस के तमाम नेता परिणामों की व्याख्या अपने तरीके से कर रहे हैं; कांग्रेसी जहां इसे राहुल गांधी का जादू बताकर खुशफहमी पाल रहे हैं, वहीं भाजपा को कुछ कहते हुए नहीं बन रहा है; कांग्रेस को स्पष्ट तौर पर मिला बहुमत भाजपा के अस्थिर और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी सरकार से लोगों के मोहभंग और आक्रोश का परिणाम है; 
कांग्रेस की जीत और भाजपा की हार तो निश्चित थी; इस चुनाव से जिसको सबसे ज्यादा उम्मीद थी वह थे येदियुरप्प; लिंगायत समुदाय का यह कदावर नेता भाजपा को बर्बाद करने के चक्कर में अब कहीं का नहीं रहा; चुनाव परिणाम के दिन अर्थात 8 मई को वह यह कहते हुए सुने गए थे कि बिना उनके प्रदेश में किसी की सरकार नहीं बनेगी; सरकार बनाने की चाबी उनके हाथ में ही रहेगी; वह किंगमेकर की भूमिका अदा करना चाहते थे; लेकिन जैसे-जैसे परिणाम आते गए येदियुरप्प के ख्वाब और हैसियत तार-तार होते गए; उनकी पार्टी 6 विधायकों तक ही सिमट गई; उनके आवास पर एक अजीब सा सन्नाटा पसरा रहा; उनकी भी हालत यूपी के कल्याण सिंह, मध्यप्रदेश में उमा भारती और गुजरात के केशुभाई पटेल की तरह ही हो गई है;
इस परिणाम ने यह तो साबित ही कर दिया गया कि जनता अब स्थिर और एक साफ सुथरी सरकार चाहती है; बार-बार मुख्यमंत्री बदलने और येदियुरप्पा का भ्रष्टाचार और उनका भाई-भतीजावाद भाजपा को ले बैठा; भाजपा में एकजूटता का अभावा रहा; चुनाव से पहले भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष को बदल कर भी गलती की; पार्टी ने अपने बिखराव पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया; हालांकि, भाजपाई यह मानते थे कि इस बार कमल नहीं खिल पाएगा; कर्नाटक में भाजपा के इस दशा के लिए अनंत कुमार भी कम जिम्मेदार नहीं हैं; उनकी असहिष्णुता भी भाजपा को एकजूट होने में बाधक रहा; वह खुद भी मुख्यंत्री बनने के चक्कर में पड़े रहे;
अब कांग्रेसी इसे राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी करने में जुट गए हैं; लेकिन कांग्रेस के नेता बिहार, यूपी, पंजाब, गोवा और गुजरात के परिणामों को भूल गए हैं; यूपी में तो राहुल और सोनिया अपने क्षेत्रों में भी कांग्रेस को जीत नहीं दिला पाए;
भ्रष्टाचार पर कांग्रेस को बोलने का कोई हक नहीं है; जिसकी सरकार आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हो उसे दूसरों पर कीचड़ उछालने का कोई हक नहीं है; कर्नाटक विधान सभा में कांग्रेस की जीत से ज्यादा भाजपा को येदियुरप्प के भ्रष्टाचार की सजा मिली है; जनता दल एस की जीत अवश्य ही ध्यान खींचती है; एचडी कुमार स्वामी की पार्टी का उभार भाजपा और कांग्रेस के लिए सिरदर्द है; यदि लोकसभा के चुनाव तक भाजपा अपने कील कांटे दुरुस्त नहीं कर लेती उसे इसी तरह के परिणाम के लिए तैयार रहना होगा;

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