April 26, 2010

कृपया सचिन को भगवान न बनाएं......

सचिन खिलाड़ी के रूप में ही बहुत महान हैं


पिछले शनिवार को सचिन तेन्दुलकर का 37 वां जन्मदिन पूरे धूमधाम से मनाया गया। हम भी सचिन की लंबी उम्र की कामना करते हैं और चाहते हैं कि वह अगले दस वर्ष तक क्रिकेट खेलें। क्रिकेट से थोड़ा बहुत भी लगाव रखने वाले हर व्यक्ति  की यह मंशा है कि सचिन अभी कई रिकार्ड कायम करें। कुछ ऐसा रिकार्ड बना दें जिसे तोड़ने की क्षमता निकट भविष्य में किसी के पास न हो। लेकिन, इस विनम्र और सादगी पसन्द शख्सियत  के सम्मान  में कुछ लोग, कुछ मीडिया संस्थान कुछ ज्यादे ही उत्साहित हो जा रहे हैं। चाहे उनको भारतरत्न देने की बात हो या उन्हें भगवान की पदवी से विभूषित करने की बात हो हर तरफ जल्दबाजी ही दिख रही है। कुछ बातें ऐसी हैं जिनपर टिप्पणी करना मौजूं जान पड़ता है। हालांकि, सचिन के अंध भक्तों को यह बात बुरी जरूर लग सकती है।


निश्चय ही बतौर खिलाड़ी सचिन महान हैं और उनके आसपास तो क्या उनके आभा मण्डल के समीप भी विश्व क्रिकेट में कोई नहीं दिखता है। इस सच्चाई से भी कोई इंकार नहीं कर सकता कि मौजूदा दौर में हर रिकार्ड सचिन से ही शुरू होकर उन्हीं पर खत्म भी हो रहा है। चाहे बात वनडे/टेस्ट में सर्वाधिक शतक लगाने का हो, ज्यादे मैच खेलने का हो, मैन आफ दी सिरीज/मैन आफ दी मैच हो अथवा वनडे में दो सौ रन बनाने का हो हर जगह एक ही नाम है वह सचिन तेन्दुलकर। तमाम कई ऐसे भी छोटे-मोटे रिकार्ड हैं जो सचिन के नाम पर अंकित हैं। वहीं क्रिकेट के नए संस्करण आईपीएल में भी सचिन ने इस वर्ष सर्वाधिक रन बनाए हैं।

क्या इन उपलब्धियों से ही सचिन को भगवान मान लेना चाहिए? यदि ऐसा है तो मुझे लगता है भगवान शब्द ही गलत है। भगवान का दर्जा तो हर किसी को मिलना चाहिए। सानिया मिर्जा को भी देवी का दर्जा दिया जाना चाहिए। उन्होंने भी भारत का नाम टेनिस के क्षेत्र में रौशन किया है। दूसरी तरफ, सचिन अक्सर मौके पर उम्दा खेल नहीं खेल पाते हैं। कई बार जब उनसे उम्मीद की जाती है वह नहीं चल पाते हैं। इसे उम्मीद का बोझ भी मान सकते हैं। सचिन की आलोचना इसलिए भी होती रही है कि वह कभी जीताऊ खिलाड़ी साबित नहीं हो सके। सचिन के दम पर कितनी सिरीज जीती गई हैं। विश्वकप में भी कोई सचिन अमिट छाप नहीं छोड़ पाए हैं। सचिन का व्यक्तिगत उपलब्धि बेदाग है, लेकिन सचिन की उपस्थिति के बाद भी भारतीय टीम कोई बहुत बड़ी उपलब्धि अभी तक  हासिल नहीं कर पाई है।


हद तो तब हो जाती है जब फिल्मों में कई यादगार भूमिका निभाने वाले अनुपम खेर यह कह कर सचिन को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हैं कि सचिन के चलते उन्हें भारतीय होने पर गर्व है। (यह बात 25 अप्रैल को दिनभर कई टीवी चैनलों पर रीडर पट्टी पर चल रही थी)  क्या दुनिया में अध्यात्म और ज्ञान की शिक्षा देने वाले भारत की पहचान मात्र सचिन से है। सचिन खेल के एक विधा क्रिकेट के चमकते सितारे हैं। इस तरह की बातें कह कर अनुपम जी क्या साबित करना चाहते हैं। इससे तो यही लगता है उन्हें सचिन के अलावा भारत में और कुछ दिखता ही नहीं है। भारत की पहचान तो भारत से ही है। क्रिकेट के चलते ही मीडिया में दूसरे खेलों में उम्दा प्रदर्शन करने वाले कई खिलाçड़यों को कवरेज नहीं मिल पाता है। जिससे उनकी महानता दब जाती है।

मेरा आशय सचिन की महानता को कम करके आंकना नहीं है। लेकिन, सचिन को केवल खिलाड़ी या इंसान ही रहने दिया जाता तो उनकी महानता और बढ़ जाती। यह सच है कि सचिन किसी की प्रशंसा या बुराई से परे हैं।

2 comments:

  1. शैलेश जी, सबसे पहले तो आपसे ये विनती है कि सचिन कि तुलना सानिया मिर्ज़ा से न ही करें तो अच्छा . दूसरी बात ये कि जहाँ तक सचिन के मैच जिताऊ होने कि बात है तो मैं ये कहूँगा कि आप किस पारी को मैच जितना मानते हैं? क्या जब तक कोई बल्लेबाज अंतिम गेंद पर छक्का मार कर मैच नहीं जितायेगा तब तक वो मैच जिताऊ नहीं माना जायेगा . अच्छा ऐसा कीजिये सचिन की सारी बड़ी परियों को मैच से निकल दीजिये अब बताइए क्या भारतीय टीम मैच जीत जाती . अगर कोई बल्लेबाज अंत में नाखून चबाने का मौका नहीं देगा और वैसी स्थिति आने ही नहीं देगा कि आप नर्वस हो जायें और वो छक्का मार कर जिता दे तब तक आप उसे मैच जिताऊ नहीं मानोगे . ज़रा कुछ तो सोचिये साहब . ऐसा क्यों लिखते हैं आप लोग सचिन के बारे में . ये बात ठीक है कि आप उसे भगवन नहीं मानते पर मनुष्य के रूप में उसकी उपलब्धियों को कम मत करिए . मेरी आपसे विनम्र विनती है

    ReplyDelete
  2. किसी भी व्‍यक्‍ित को भगवान का दर्जा नहीं दिया जाना चाहिए। आपकी बात से हम सहमत हैं। अच्‍छा लेख है।

    ReplyDelete

आपने धैर्य के साथ मेरा लेख पढ़ा, इसके लिए आपका आभार। धन्यवाद।

छवि गढ़ने में नाकाम रहे पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम

कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम आईएनएक्स मीडिया मामले में घूस लेने के दोषी हैं या नहीं यह तो न्यायालय...