August 20, 2019

वाकई मंदी आने वाली है या भय का माहौल बनाया जा रहा है

- मोदी समर्थक इसे सोचाी समझी साजिश का हिस्सा बता रहे हैं
- आरोप,इलेक्ट्रिक वाहनों की नीति को रोकने हो रही है साजिश

ऑटो सेक्टर में कथित मंदी किस ओर इशारा कर रही है। क्या वाकई में देश में आने वाले आर्थिक संकट का इसे संकेत माना जाए। अथवा इसके पीछे कोई और वजह है। वैसे निष्पक्ष विशेषज्ञों का कहना है कि ऑटो सेक्टर में यह मंदी वैश्विक है। इस समय दुनियाभर में ऑटो बाजार मंदी की दौर से गुजर रहे हैं। इस समय देश में ऑटो सेक्टर में कम से कम साढ़े तीन लाख अस्थायी पदों को खत्म किया जा चुका है। आगे और नौकरियों के जाने की आशंका है।
हालांकि, मोदी सरकार के प्रति नरम रुख रखने वाले आशंका व्यक्त करते हैं कि कहीं न कहीं मीडिया का एक वर्ग और वामपंथी रूझान वाले अर्थशास्त्रियों का समूह मंदी का भय फैलाकर केंद्र सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है।
वैसे जानकारों का कहना है कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि मोदी सरकार ने जब से इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर अपनी नीति की घोषणा की है तभी से कहीं न कहीं मंदी की बात भी सामने आने लगी है। क्योंकि, इस बात को तब और बल मिलता है जब बजाज समूह के चेयरमैन राहुल बजाज की बातों पर गौर करते हैं कि विकास स्वर्ग से नहीं आता। विकास के लिए यहीं पर माहौल बनाने की जरूरत है। उनका इशारा इलेक्ट्रिक वाहनों की नीति की तरफ ही था। बजाज ऑटो की आम वार्षिक बैठक में शेयरधारकों को संबोधित करते हुए राहुल बजाज ने कहा, ऑटो सेक्टर बेहद मुश्किल हालात से गुजर रहा है। बकौल राहुज बजाज सरकार इस दिशा में कुछ नहीं कर रही है। उन्होंने सरकार पर देशवासियों को गुमराह करने का अरोप लगाया। उनका यह भी कहना है कि सरकार को अपनी नीतियों में और बदलाव लाने की जरूरत है।
इससे पहले उनके पु़त्र राजीव बजाज ने भी आम बजट पेश होने के बाद एक साक्षात्कार में मोदी सरकार पर इलेक्ट्रिक वाहनों की नीति को लेकर निशाना साधा था। तब उन्होंने कहा था कि यह सरकार सबकुछ रातोंरात बदल देना चाहती है। उन्होंने पूछा था कि यदि लोग इलेक्ट्रिक मॉडल को नापसंद कर देते हैं तब ऑटो उद्योग क्या करेगा क्या हम अपनी दुकानदारी बंद कर देंगे।
वहीं, ऑटो कंपनियों के संगठन सियाम के आंकड़ों  पर गौर करें तो इस साल जून माह में  कारों की घरेलू बिक्री भी 24ण्97ः घटी है। बीते जून में यह आंकड़ा 1ए39ए628 यूनिट्स का था, जो गत वर्ष जून में 1ए83ए885 यूनिट रहा। यह लगातार आठवां महीना है जब यात्री वाहनों की बिक्री में कमी दर्ज की गई। इस बीच ऑटो उद्योग ने केंद्र की मोदी सरकार से इस गिरावट को रोकने तथा नौकरियों को सुरक्षित रखने के लिए ठोस  उपाय करने का आग्रह किया है। अब देखना है कि सरकार क्या नीति अपनाती है।
वैसे इस मामले में सरकारा समर्थकों का कहना है कि इन सबके पीछे की कहानी मंदी की आड़ में इलेक्ट्रिक वाहनों की गति रोकने की सोची समझी कवायद है; जिसे भारी बहुमत से सत्ता में दोबारा लौटी मोदी सरकार भी बखूबी समझती है। यही वजह है कि मोदी सरकार कुछ खास प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं कर रही है। हां यह जरूर है कि केंद्र सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की गति कुछ समय के लिए कम करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। 

No comments:

Post a Comment

आपने धैर्य के साथ मेरा लेख पढ़ा, इसके लिए आपका आभार। धन्यवाद।

छवि गढ़ने में नाकाम रहे पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम

कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम आईएनएक्स मीडिया मामले में घूस लेने के दोषी हैं या नहीं यह तो न्यायालय...