नवाबों के शहर को गांधीगीरी सिखाएंगे मुन्ना
फिल्मों में लटको झटको दिखाने के बाद अब लखनऊ की जनता को गांधीगीरी सिखाने के लिए मुन्ना भाई उर्फ संजय दत्त चुनाव लड़ने नवाबों के शहर आ ही गए। इसके साथ ही मीडिया में मचा हो हो हल्ला भी शांत हो गया।
अब तक जितने भी अभिनेता से नेता बने हैं `कुछं को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश संबंधित क्षेत्र की जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाए हैं। संजय दत्त भी उन `कुछं में हो सकते हैं यह कैसे मान लिया जाए। जब वे अपने घर में कोई मिशाल कायम नहीं कर पाए हैं।
लखनऊ में रोड शो के दौरान जब उनसे पत्रकारों ने यह पूछा कि यहां कि तीन सबसे बड़ी समस्याएं क्या हैं? तो जवाब में संजय ने कहा कि आप ही बताएं। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनता की अपेक्षाएं कितनी पूर्ण होंगी, जब उनको शहर की समस्याओं की ही जानकारी नहीं है तो वह किस आधार पर चुनाव लड़ने लखनऊ आए हैं। सोचने वाली बात है। अब तक देखा गया है कि नेता बनने वाले अभिनेता क्षेत्र की जनता की समस्याएं दूर करने के बजाए फिल्मों और विज्ञापनों की शूटिंग कर धन बटोरने में ही लगे रहते हैं। उनकी चुनावी घोषणा मिट्टी में मिल जाती है।
वर्तमान लोक सभा में जितने भी अभिनेता चुनकर संसद पहुंचे हैं उनमें से किसी ने (एकाध को छोड़ दिया जाए तो) अपने क्षेत्र की जनता अथवा क्षेत्र के विकास के लिए कुछ नहीं किया है। ना ही उन्होंने संसद में संबंधित क्षेत्र की समस्याओं के लिए आवाज ही उठाया। संसद सत्र के दौरान प्रश्न पूछने में भी ये बहुत पीछे रहे हैं। न ही किसी ने अपनी जनता की समस्याओं को लेकर धरना-प्रदर्शन ही किया है। जब इस तरह का इतिहास रहा है इन अभिनेताओं का तो संजय दत्त अलग होंगे, कैसे मान लिया जाए। एक बात और क्या संजय दत्त लखनऊ में ही रह कर क्षेत्र की जनता की सेवा करेंगे अथवा मुंबई जाकर फिल्मों की शूटिंग में लग जाएंगे?
वैसे ये रूपांतरित नेता (अभिनेता से बने) यदि ईमानदारी से पर्दे के ही अपने पात्र को असल जिंदगी में उतार दें तो मुझे लगाता है कि क्षेत्र का कायाकल्प हो सकता है। लेकिन ये लोग ऐसा करते नहीं हैं क्योंकि ये लोग एक तो अभिनेता ऊपर से नेता जो बन जाते हैं।
खैर अटलगीरी सीख चुकी लखनऊ की जनता इतनी आसानी से गांधीगीरी सीख लेगी कहना जल्दबाजी है। संजय भाई फिल्मों में ही गांधीगीरी सिखाएं तो अच्छा रहेगा। रील और रीयल लाइफ अलग-अलग है। वैसे भी आप जिस पार्टी से चुनाव लड़ने चले हैं उसके राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह आतंकवादियों से लेकर बलात्कारियों तक की पैरवी कर चुके हैं।
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आगे आगे देखिये, होता है क्या. क्या क्या नजारे देखने को मिलते हैं.
ReplyDeleteबहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉगजगत में आपका हार्दिक स्वागत है .
ReplyDeleteआपकी लेखनी सदैव गतिमान रहे .....
मेरी शुभकामनाएं ......
Acchi shuruaat, Swagat.
ReplyDeleteबहुत अच्छा! सुंदर लेखन के साथ चिट्ठों की दुनिया में स्वागत है। चिट्ठाजगत से जुडऩे के बाद मैंने खुद को हमेशा खुद को जिज्ञासु पाया। चिट्ठा के उन दोस्तों से मिलने की तलब, जो अपने लेखन से रू-ब-रू होने का मौका दे रहे हैं एक तलब का एहसास हुआ। आप भी इस विशाल सागर शब्दों के खूब गोते लगाएं। मिलते रहेंगे। शुभकामनाएं।
ReplyDeletesapaa teesari baar yahaan kisi ko film industry se lekar aayi hai
ReplyDeletedekhen kyaa karte hain munna bhai
waise ek chamche ki jagah munna bhai chalenge dekhen bhajpa kise ladaati hai